
सनातन धर्म: जीवन का सच्चा मार्ग
प्रस्तावना
सनातन धर्म का नाम सुनते ही मन में एक अनंत शांति और विश्वास का भाव जागृत होता है। सनातन का अर्थ है शाश्वत, जो कभी नष्ट नहीं होता। यह वह धर्म है जो सबको अपना मानता है, वसुधैव कुटुंबकम की भावना को हृदय में संजोए रखता है। हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, पारसी, गरीब, अमीर—सबके लिए यह एक पिता की तरह है। सनातन धर्म का मूल मंत्र है “सर्वे भवंतु सुखिनः”, अर्थात् सभी सुखी हों। यह वह मार्ग है जो हमें जीवन की सच्चाई सिखाता है और ईश्वर के प्रति भक्ति का भाव जागृत करता है।
सनातन धर्म की विशेषता
सनातन धर्म केवल एक पूजा-पाठ या रीति-रिवाजों का नाम नहीं है, बल्कि यह जीवन जीने की कला है। यह हमें शिक्षा और विद्या का अंतर समझाता है। शिक्षा वह है जो हमें सामाजिक, पारिवारिक और व्यवहारिक ज्ञान देती है, जबकि विद्या वह प्रकाश है जो जीवन को ईश्वर से जोड़ता है। सनातन धर्म कहता है कि जो हम चाहते हैं, वह शायद हमें न मिले, परंतु जो श्रीकृष्ण चाहते हैं, वह अवश्य होता है। यह विश्वास ही हमें हर परिस्थिति में आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।
धर्म और परमार्थ का महत्व
सनातन धर्म का आधार है—दूसरे का हित ही धर्म है और दूसरों का अहित करना अधर्म। यह हमें स्वार्थ से ऊपर उठकर परमार्थ का जीवन जीने की प्रेरणा देता है। जो स्वार्थ के लिए जीता है, वह अंत में अकेला रह जाता है, परंतु जो परमार्थ के लिए जीता है, वह अकेला होकर भी सबका प्रिय बन जाता है। श्रीमद् भागवत जैसे ग्रंथ हमें यही संदेश देते हैं कि जीवन का उद्देश्य भगवान की प्राप्ति है, न कि केवल सांसारिक सुखों का संग्रह।

जीवन की सच्चाई
मित्रों, जरा सोचिए! आज हम रील्स की दुनिया में खोए हुए हैं, लेकिन जिंदगी की सच्चाई रील में नहीं, रियल में है। हमें गूगल के सहारे नहीं, ईश्वर के सहारे जीना सीखना होगा। सनातन धर्म हमें यही सिखाता है कि जीवन का हर क्षण भक्ति और समर्पण से भरा हो। एक सच्चा गुरु, वैद्य या उपदेशक वही है जो सबका हित चाहे।
प्रेरणा और निष्कर्ष
सनातन धर्म हमें प्रेरित करता है कि हम अपने जीवन को प्रभु के चरणों में समर्पित करें। यह वह मार्ग है जो हमें अंधेरे से प्रकाश की ओर ले जाता है। तो आइए, इस शाश्वत धर्म के प्रकाश में अपने जीवन को सार्थक बनाएं और हर कदम पर श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त करें। ईश्वर के सहारे चलें, क्योंकि वही हमारा सच्चा साथी है।
“जय श्रीकृष्ण!”
