एक साफ-सुथरी, दुर्गंध रहित यमुना की कल्पना करें, जहां लोग इसके किनारों पर चल सकते हैं या साइकिल चला सकते हैं, कुछ पक्षियों को देख सकते हैं और पेड़ों के नीचे आराम कर सकते हैं। इसलिए श्री महाराज जी स्वयं एवं अपने कार्य कर्ताओं के साथ मिलकर इस सपने को हकीकत में बदलने की नीयत से जुटे हुए है।
छह महीने तक इंजीनियरों, जल विशेषज्ञों और पर्यावरणविदों से परामर्श करने के बाद तैयार की गई योजना, “नदी को समग्र रूप से देखती है और इसके पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए सभी पहलुओं को शामिल किया है जैसे सीवेज और औद्योगिक अपशिष्टों को इसमें प्रवेश करने से रोकना, पहचान करना” प्रदूषण के सभी बिंदु और गैर-बिंदु स्रोत, नदी तट का पारिस्थितिक विकास, जल पुनर्भरण के लिए जल निकायों का निर्माण और पुनर्जीवित करना, साइकिल चलाने, पैदल चलने और मनोरंजन के लिए सार्वजनिक स्थान बनाना, यहां तक कि नदी में विलीन होने वाले प्रदूषणकारी नालों को भी बहाल करना आदि कार्य प्रगति पर है।
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